Bhai Dooj 2023 : रक्षा बंधन की तरह भाई दूज भाइयों और बहनों के बीच के बंधन का जश्न है। हालाँकि, इस त्योहार में बहनें भाइयों की लंबी उम्र और सुरक्षा की प्रार्थना तो करती हैं, लेकिन राखी नहीं बांधती। यह शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है। यह कार्तिक के हिंदू चंद्र महीने में पड़ता है। इस साल भाई दूज 14 नवंबर और 15 नवंबर को मनाया जा रहा है।
पश्चिम बंगाल, बिहार और गुजरात जैसे कुछ राज्यों में यह दिन काफी महत्व रखता है। इसी प्रकार अलग-अलग क्षेत्रों में लोग इसे अलग-अलग नाम से जानते हैं। उदाहरण के लिए मणिपुर में इसे ‘निंगोल चाकुबा’, गोवा, महाराष्ट्र और कर्नाटक में ‘भाऊ बीज’ और नेपाल में ‘भाई टीका’ के नाम से जाना जाता है। इस दिन बहनें घरों में की जाने वाली पारंपरिक पूजा में अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाती हैं। इसके बाद आरती होती है और बदले में उन्हें उपहार मिलते हैं। अलग-अलग घरों में अलग-अलग तरीके से मना सकते हैं और मंत्र भी अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन मूल रूप से यह त्योहार भाई-बहन के प्रेम को दर्शाता है।
पूजा की थाली में एक छोटा दीया, रोली टीका, चावल, नारियल, बताशा, मिठाई एवं कुछ पान के पत्ते होने चाहिए। पश्चिम बंगाल में तिलक के लिए चंदन का लेप और काजल का इस्तेमाल किया जाता है। इस दौरान धान और दूर्बा (घास) चढ़ाकर आशीर्वाद दिया जाता है।
Bhai Dooj 2023 : क्यों मनाया जाता है भाई दूज
माना जाता है कि मृत्यु के देवता यमराज को उनकी बहन यमुना ने बुलाया था, लेकिन वह उनसे मिलने नहीं जा सके। अथक प्रयासों के बाद वह उनसे मिले और स्वादिष्ट व्यंजनों से उनका स्वागत हुआ। यमुना ने उनके माथे पर कुछ तिलक लगाया। यह प्यार और सम्मान देखकर यमराज ने अपनी बहन से पूछा कि क्या वह कोई वरदान चाहती है। इस पर उसने हर साल यमराज से एक दिन माँगा, ताकि वह उससे मिलने आ सके। इस दिन हर साल भाई दूज मनाया जाता है और भाई अपनी बहनों के घर प्रसाद देने या उनका आशीर्वाद लेने जाते हैं।